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हृदयांश के ईलाज के लिए साढ़े 17 करोड़ का लगेगा इंजेक्शन, चित्तौड़गढ़ पुलिस ने दिए 20 लाख रुपए


चित्तौड़गढ़। दुर्लभ बीमारी का शिकार हुए एक मासूम बच्चे की जान बचाने के लिए साढ़े 17 करोड़ का इंजेक्शन का खर्च आएगा। इतनी बड़ी रकम को जुटा पाने में मासूम के पिता असमर्थ हैं। प्रदेश में कई भामाशाह के साथ-साथ अब पुलिस विभाग से जुड़े कार्मिक भी आगे आ रहे हैं। भरतपुर रेंज में पदस्थापित उप निरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) नरेश शर्मा के एक वर्ष 9 माह उम्र के पुत्र हृदयांश को स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी नामक बिमारी के ईलाज के लिए चित्तौड़गढ़ जिला पुलिस के सभी अधिकारी कर्मचारियों ने मिलकर करीब 20 लाख रुपये की मदद की है। उप निरीक्षक नरेश शर्मा के पुत्र हृदयांश के ईलाज के लिए साढ़े 17 करोड़ रुपये की आवश्यकता हैं।
पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने बताया कि भरतपुर रेंज में पदस्थापित उप निरीक्षक नरेश शर्मा के 01 वर्ष 09 माह उम्र के पुत्र हृदयांश को स्पाइनल मस्क्युलर एट्रोफी नामक बिमारी होने से चिकित्सक की राय के अनुसार इस बिमारी का एक मात्र संभावित उपचार जोल्जेंस्मा नामक इन्जेक्शन एक उत्कृष्ट जीन चिकित्सा उपचार है, चिकित्सकों के अनुसार इस इंजेक्शन को इम्प्लांट करने की अधिकत्म उम्र 24 माह (2 वर्ष) हृदयांश के पास समुचित उपचार हेतु ज्यादा समय शेष नही है। बच्चे की जीवन रक्षा हेतु लगाये जाने वाले इन्जेक्शन की किमत साढ़े 17 करोड़ के आसपास है। जिला चित्तौड़गढ़ पुलिस ने इस अभियान में मदद करते हुए हृदयांश के जीवन रक्षा हेतु जिले के सभी पुलिस कर्मियों, मंत्रालयिक कर्मियों, सहायक कर्मियों के वेतन से राशि की कटौती माह मार्च-2024 के वेतन से जिले में पदस्थापित कार्मिकों से स्वैच्छा अनुसार की गई हैं। जो कुल मिलाकर 19 लाख 98 हजार 900 रुपये हुई हैं। एकत्र राशि से हृदयांश के ईलाज के लिए भेजी जाएगी। ईलाज के लिए बड़ी रकम की व्यवस्था हेतु कई भामाशाह आगे आ रहे हैं। गौरतलब है कि मासूम हृदयांश को दुर्लभ बीमारी से बचाने के लिए उनके पिता नरेश शर्मा के पास दो महीने का ही समय है और इंजेक्शन के लिए साढ़े 17 करोड़ का खर्च आने वाला हैं। घातक बीमारी से ग्रसित हृदयांश का कमर से नीचे का हिस्सा बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है।

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